Rani Padmavati History Hindi | रानी पद्मावती का रहस्य | Queen Padmavati’s Real Family | Rani Padmavati Dies In This Way | रानी पद्मावती की इस प्रकार होती है मृत्यु
Rani Padmavati History Hindi
अगर भारत में राजपरिवार की बात आती है तो सबसे पहले राजस्थान के राजा – रानियों की बात सबसे पहले की जाती है। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में शूरवीर राजा एवं रानी पले बढ़े हैं। यहां के बड़े-बड़े महल यहां के केवल राजाओं की बात नहीं बल्कि यहां की रानियों के भी बात किया करता है। चित्तौड़गढ़ की रानी पद्मावती (पद्मिनी) का नाम आज पूरा विश्व जानता है। रानी पद्मावती (पद्मिनी) के जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। रानी पद्मावती का जीवन हमें बलिदान त्याग वीरता सिखाती है।Rani Padmavati History Hindi | रानी पद्मावती का रहस्य | Queen Padmavati’s Real Family | Rani Padmavati Dies In This Way | रानी पद्मावती की इस प्रकार होती है मृत्यु |
Rani Padmavati History Hindi - रानी पद्मीनी (पद्मावती) का अनसुना रहस्य एवं इतिहास
कहां जाता है कि रानी Padmavati {Padmini} पूरे भारत में सबसे सुंदर रानी में से एक थी लेकिन रानी पद्मावती के इतिहास में आज भी पूर्ण प्रकार से दावा नहीं किया जा सकता है। सन 1540 में मोहम्मद जायसी ने पहली बार पद्मावती के बारे में लिखित दस्तावेज प्रस्तुत किए थे। पद्मावत एक कविता थी। राजस्थान की कुछ परंपरा रानी पद्मावती (Padmavati) का अस्तित्व मानती है .
बड़े-बड़े राजपूत परिवार यह कहानी को सत्य नहीं मानती है परंतु अलाउद्दीन के इतिहासकार यह कहानी का सत्य होने का दावा प्रस्तुत करती है। वैसे महारानी पद्मावती रावल रतन सिंह और अलाउद्दीन खिलजी का उल्लेख रानी पद्मावती के इतिहास में झलकता है।
महारानी पद्मावती का कुटुम्ब – Queen Padmavati’s Real Family
1. पूर्ण नाम / उप नाम :- पद्मावती / पद्मिनी
2. पति का नाम :- राजा रावल रतन सिंह
3. पद्मावती का जन्म स्थान :- सिंघला
4. पद्मावती के पिता का नाम :- गंधर्वसेन
5. पद्मावती के माता का नाम :- चंपावती
6. मृत्यु स्थान :- चित्तौड़गढ़
Rani Padmavati का जन्म सिंघला में हुआ वहां के राजा गंधर्वसेन रानी पद्मावती के पिता थे तथा रानी पद्मावती के माता का नाम चंपावती था। रानी पद्मावती बचपन से ही बहुत सुरवीर एवं पराक्रमी थी लेकिन रानी पद्मावती पूरे भारतवर्ष में उस समय सबसे ज्यादा सुंदर रानियों में से एक थी। जिन कवियों ने रानी पद्मावती कविता का बखान किया है उन्होंने बखूबी रानी पद्मावती की सुंदरता का भी उल्लेख अपने कविता में किया है।
रानी पद्मावती के पैरों की लाली इस प्रकार की मानो बिना आलता का प्रयोग किए बिना उनके पैरो के तले लाल दिखाई पड़ते थे। जब रानी पद्मावती पान खाती थी उस समय उनके मुख के साथ उनका गला भी लाल दिखाई पड़ता था। जब रानी पद्मावती जल ग्रहण करती थी तो उनके गले से जल उनके शरीर में जाता हुआ दिखाई पड़ता था। इस प्रकार के रानी पद्मावती सुंदर थी।
Rani Padmavati का विवाह – रानी पद्मावती का विवाह कराने के लिए उनके पिता गंधर्वसेन जी ने एक स्वयंवर का आयोजन किया था जिसमें वहां के बड़े-बड़े राजा आए थे। उन्हीं राज्यों में चित्तौड़गढ़ के राजा रावल रतन सिंह भी आए हुए थे। राजा रावल रतन सिंह ने स्वयंवर के आयोजन में सभी राजाओं को हराया एवं रानी पद्मावती से विवाह किया।
रानी पद्मावती का इतिहास (Rani Padmavati Full Story)
राजा रावल रतन सिंह चित्तौड़गढ़ के राजा थे, उन्होंने 12वी एवं 13 वी शताब्दी में चित्तौड़गढ़ पर राज किया था। राजा रावल रतन सिंह सिसोदिया राजवंश के वंशज माने जाते हैं। राजा रावल रतन सिंह अपनी पत्नी पद्मावती से अत्यधिक प्रेम किया करते थे। रावल रतन सिंह एक दयालु राजा थे जो अपने प्रजा के हित के लिए हमेशा अच्छे काम किया करते थे तथा अपने प्रजा को खुश भी रखे थे।
रावल रतन सिंह जी को कला से अत्यधिक प्रेम था इसलिए उन्होंने अपने राज्य में देश के बड़े-बड़े कलाकार जैसे प्रसिद्ध संगीतकार प्रसिद्ध चित्रकार राजनर्तकी इत्यादि को अपने महल में सम्मान पूर्वक रखकर उनके कला का प्रदर्शन पूरी जनता को दिखाया करते हैं। उस समय चित्तौड़गढ़ में “राघव चेतक” नाम का एक प्रसिद्ध संगीतकार था वहां के राजा “रावल रतन सिंह” राघव चेतक के संगीत से बहुत ज्यादा प्रभावित थे।
लेकिन ताज्जुब की बात यह थी कि राघव चेतक संगीतकार के भेस में एक तांत्रिक था जिसे काला जादू आता था। राघव चेतक अपने काला जादू एवं तांत्रिक क्रिया से वहां के राजा रावल रतन सिंह को मारने की कोशिश भी की थी जिसमें राघव चेतक पकड़ा गया और राजा रावल को रतन सिंह ने घोर दंड दिया और उन्हें देश से निकलने का आदेश दिया। राघव चेतक प्रतिशोध की आग में जलने लगे और राजा रावल रतन के खून के प्यासे हो गए।
राघव चेतक ने अलाउद्दीन खिलजी जो उस काल के बहुत प्रभावशाली एवं कुटीर राजाओं में से एक माने जाते हैं उनसे जाकर हाथ मिला लिया। अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली के राजा थे। अलाउद्दीन खिलजी हमेशा पास के जंगल में शिकार करने के लिए जाया करते थे। यह बात राघव चेतक को पता थी। एक दिन राघव चेतक की मुलाकात अलाउद्दीन खिलजी से हुई।
दरअसल बात यह थी कि राघव जानबूझकर जब भी अलाउद्दीन खिलजी जंगल में आया करते थे। उस समय मधुर संगीत एवं बांसुरी बजाकर अपना ध्यान खींचा करते थे। कुछ समय तक अलाउद्दीन खिलजी ने इस बात को अनसुना किया एवं उसकी ध्वनि को ध्यान भी नहीं दिया। लेकिन अलाउद्दीन खिलजी ने सोचा कि इतना मधुर ध्वनि आखिर कौन बजाता है। अलाउद्दीन खिलजी ने आदेश दिया अपने सैनिकों को और कहा कि जो भी यह ध्वनि बजा रहा है उसे मेरे समक्ष प्रस्तुत करो।
राघव चेतक को अलाउद्दीन खिलजी के सैनिकों ने ढूंढ निकाला और अलाउद्दीन खिलजी के सामने चेतक को प्रस्तुत किया गया राघव चेतक में अलाउद्दीन खिलजी को कुछ दिनों में ही अपने बातों में इतना मोह लिया कि अलाउद्दीन खिलजी राघव चेतक से उनके विषय में पूछने लगे। राघव चेतक ने कहा कि मैं एक देशद्रोही हूं और मुझे चित्तौड़गढ़ के राजा ने देश से निकाल दिया है और ऐसा कहकर वहां के रानी पद्मावती जी की सुंदरता का बखान करने लगे। अलाउद्दीन खिलजी राघव चेतक के बातो में इतना मदहोश हो गए कि उन्होंने पद्मावती का सुंदर मुख देखने की तमन्ना जागृत होने लगी।
अलाउद्दीन खिलजी और रावल रतन सिंह की लड़ाई
रानी पद्मावती की सुंदरता में मदहोश हो कर अलाउद्दीन खिलजी चित्तौड़ के राजा से युद्ध करने के लिए अपने सैनिकों को लेकर अपने विशाल सेना के साथ चित्तौड़गढ़ पहुंचता है। जब अलाउद्दीन खिलजी चित्तौड़गढ़ पहुंचते हैं तब वह देखते हैं कि चितौड़गढ़ की सिमा सुरक्षा काफी मजबूत है और इसे दौड़ना लगभग नामुमकिन है। इसलिए अलाउद्दीन खिलजी अपने विशाल सेना को लेकर चित्तौड़गढ़ सीमा सुरक्षा के थोड़ी दूर पहले ही रुक जाते हैं। लेकिन अलाउद्दीन खिलजी की तीव्र इच्छा और बढ़ती जाती है रानी पद्मावती को देखने के लिए।
महीनों गुजर जाते हैं अलाउद्दीन खिलजी को चित्तौड़गढ़ के सीमा में डेरा डाले हुए। अलाउद्दीन खिलजी एक खूंखार शासक थे और उन्हें ना सुनने की आदत बचपन से नहीं थी। इसलिए वह पद्मावती को देखने के लिए अड़े हुए थे। आखिरकार अंत में अलाउद्दीन खिलजी राजा रावल सिंह को एक पत्र लिखते हैं जिसमें अलाउद्दीन खिलजी कहते हैं कि मैं रानी पद्मावती को एक बहन की हैसियत से एक बार बस देखना चाहता हूं।
राजपूताना खानदान में किसी औरत से मिलने का जिक्र करना यह शर्मनाक बात कही जाती है। पद्मावती एक महारानी थी एवं उसे बिना पर्दे के देखने के इजाजत किसी को नहीं थी। आखिरकार राजा रतन सिंह के सामने उनसे बड़ा उनका राज पाठ एवं उनका मासूम प्रजा था इसलिए राजा रतन सिंह मान जाते हैं।
रानी पद्मावती रतन सिंह की बात मान लेते हैं लेकिन रानी पद्मावती की एक शर्त होती है। शर्त यह है की अलाउद्दीन खिलजी उन्हें सिर्फ आईने में प्रतिबिंब के रूप में ही देख सकते हैं। यह बात अलाउद्दीन खिलजी मान जाते हैं एवं अलाउद्दीन खिलजी एवं उसके साथ एक सैनिक महाराजा रतन सिंह के महल में प्रवेश करते हैं। एक निश्चित समय पर महारानी पद्मावती आईने के सामने आना होता है उसी वक्त अलाउद्दीन खिलजी को वह प्रतिबिंब देखना होता है।
जैसे ही रानी पद्मावती आईने के सामने आती है उसी वक्त अलाउद्दीन खिलजी उन्हें प्रतिबिंब में देख लेते हैं और मनो अलाउद्दीन खिलजी अपना सुध बुध खो देते हैं। अलाउद्दीन खिलजी अब रानी पद्मावती की सुंदरता देखकर इतने मोहित हो जाते हैं कि वह ठान लेते हैं महारानी पद्मावती को पाने का, और महल से जाते वक्त राजा रतन सिंह को अगवा कर लेते हैं।
राजा रावल रतन सिंह को अगवा करने के बाद अलाउद्दीन खिलजी राजमहल में एक संदेश भिजवाते है जिसमें लिखा होता है कि अगर आपको राजा वापस चाहिए तो रानी पद्मावती को देना होगा। अब सागरा चौहान राजपूत एवं जनरल गौरा एवं महारानी पद्मावती मिलकर एक योजना बनाते हैं एवं अलाउद्दीन खिलजी को युद्ध करने का चुनौती प्रस्तुत करते हैं।
युद्ध की रणनीति इस प्रकार थी की कुछ पालकी राजमहल से खिलजी तक भेजी जाएगी। वह पालकी में महारानी एवं दासिया नहीं होगी बल्कि वह पालकी में राज महल के जांबाज सेना होंगे। अलाउद्दीन खिलजी की सेना के पास पहुंचते ही वह पालकी से पूरी सेना अलाउद्दीन खिलजी के सेना को काफी हद तक मार दे देती है एवं उस युद्ध में जनरल गौरा शहीद हो जाते हैं और एक घोड़े की मदद से राजा रावल रतन सिंह अपने महल में पुनः पहुंच जाते हैं।
रतन सिंह के वापस जाने से अलाउद्दीन खिलजी अपने आपको बहुत ज्यादा अपमानित महसूस करने लगते हैं और क्रोध में आकर अलाउद्दीन खिलजी की विशाल सेना चित्तौड़गढ़ के पूरे सीमा को घेर लेती है। धीरे-धीरे कुछ वक्त के बाद चित्तौड़गढ़ में राशन एवं खाने-पीने के लाले पड़ने लगते हैं। अब राजा रावल रतन सिंह के पास और कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता। अंत में वह चित्तौड़गढ़ का रास्ता खोल देते हैं जिससे अलाउद्दीन की सेना चित्तौड़गढ़ में घुसने लगती है।
रानी पद्मावती समझ जाती है कि अलाउद्दीन के विशाल सेना के साथ हमारी सेना नहीं लड़ पाएगी और मुझे अलाउद्दीन खिलजी के साथ जाना पड़ सकता है। इसलिए रानी पद्मावती एवं वहां की सारी औरतें जौहर कर लेती है। जौहर का मतलब आग में कूदकर आत्महत्या करना होता है।
रानी पद्मावती की इस प्रकार होती है मृत्यु – Rani Padmavati Dies In This Way
माना जाता है कि 26 अगस्त 1303 को रानी पद्मावती के साथ चित्तौड़गढ़ के सभी औरतों ने मिलकर जौहर कर लिया था। अब वहां के मर्दों के पास लड़ने के अलावा और कोई चारा नहीं था। वह मरते दम तक लड़ते रहे। अंत में अलाउद्दीन खिलजी के विशाल सेना के साथ वह नहीं लड़ पाए और अपनी जान गवा दी। जब अलाउद्दीन खिलजी भागते – भागते महल पहुंचे तो उन्हें मृत शरीर एवं जली हुई हड्डियों के अलावा और कुछ नहीं मिला। महारानी पद्मावती ने अपने पतिव्रता होने का सबसे बड़ा प्रमाण दे दिया था।
तो दोस्तों आपको आज कि
Rani Padmavati History Hindi - रानी पद्मावती का रहस्य - Queen Padmavati’s Real Family - Rani Padmavati Dies In This Way - रानी पद्मावती की इस प्रकार होती है मृत्यु
कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं Hp Video Status पर आकर हमारी पोस्ट पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद....!!!
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